कुमकुम रोली और बिंदिया माथ पर सजा ले।
दीवाने हम तेरे चाहे जितना नचा ले,
सुशोभित भाल जिंदगी जीने का मजा ले,
देखे जब तुझे साजन थोड़ा सा लजा ले।।
बिंदिया, भारत की नारी की पहचान है।
जग में तेरी शान तुझे दिलाए मान है,
सृष्टि रचयिता देवी तेरे एहसान हैं,
भारतमाता की बिंदी जन-गण-मन गान है।।
तुम्हें पूजे देवता बढ़ती घर की शोभा।
चमकती कुमकुम, बिंदी शोभित तेरी आभा,
तुझसे आरती अजान मंदिर और काबा,
भोजन पाते तुमसे वरना जाते ढाबा।।
तुमने बदलकर रख दी भारत की तस्वीर।
नारी शक्ति तुम संबल देती राजा या फकीर,
तेरे माथ की बिंदी बदल देती तकदीर,
इंसान को घायल कर जगा देती ज़मीर।।
© मौलिक
रीता जयहिन्द
8368851064
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