दिल की धड़कन ना जाने कब कहां खो गई,
ढूंढते मुद्दत से उसे दर ब दर दरबदर ।
बन के बैठी है दुश्मन वो धड़कन मेरी,
चली जो कभी मंजिलें हम सफर हमसफर।
पहले दिल में थी धड़के सरे प्यार से,
आज क्या हो गया ?बे_ दिल बे_ खबर बेखबर ।
क्यूं है संगदिल ! इस दिल की परवा नहीं ,
ऐसे बेदर्द ,बेरहम , बे कदर बेकदर ।
भूल से कल गया हाथ दिल पर मेरा ,
हुआ एहसास " अया " ये गम न कर ,गम न कर ।
राह चलते कभी वो अगर जाए मिल,
बे_ हिचक कह दे तू , जा उधर थी जिधर ।
"अया " फारसी शब्द है
इसका अर्थ है एक ऐसी प्रेम की पीड़ा जिसकी कोई चिकित्सा ना हो सके ।
संतोष शर्मा शान मथुरा
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