मांतु गंगे-कमलापति गौतम, रचनाकार संख्‍या 8

पतित पावनि मांतु गंगे ।
दुख निवारणि मातु गंगे ।।1


युग- युगों से तारती जो ।
शुभ सवारणि मातु गंगे ।।2


रोग हर कर पाप धोती  ।
विपति नासिनि मातु गंगे ।।3


पुण्य कर्मों में लगे मन ।
सुयस दायिनि मांतु गंगे ।।4


तन हृदय अरु चित्त निर्मल ।
कर प्रवाहिनि मातु गंगे  ।।5


अंतस जिगर परिशुद्ध कर ।
तरणि-तारणि मातु गंगे  ।।6


'कमल' को सत-गति मिले यह
वर  प्रदायिनि  मांतु गंगे ।।7


 कमलापति गौतम सीधी मध्य प्रदेश


 



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