पतित पावनि मांतु गंगे ।
दुख निवारणि मातु गंगे ।।1
युग- युगों से तारती जो ।
शुभ सवारणि मातु गंगे ।।2
रोग हर कर पाप धोती ।
विपति नासिनि मातु गंगे ।।3
पुण्य कर्मों में लगे मन ।
सुयस दायिनि मांतु गंगे ।।4
तन हृदय अरु चित्त निर्मल ।
कर प्रवाहिनि मातु गंगे ।।5
अंतस जिगर परिशुद्ध कर ।
तरणि-तारणि मातु गंगे ।।6
'कमल' को सत-गति मिले यह
वर प्रदायिनि मांतु गंगे ।।7
कमलापति गौतम सीधी मध्य प्रदेश
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