जय नंदनी ,नलिनी सीता ,
मालती च मलापहा ।
जय विष्णुपादाब्ज संभूता,
गंगा त्रिपथगामिनी ।
भागीरथी भोगवती जाह्नवी त्रिदशेश्वरी ।
हे अम्बे ! तेरी शुचिधारा ,
उत्तम है अमृत गागर से ।
तू निकल हिमालय के गृह से ,
जाकर मिलती सागर से ।
भागीरथी वरदान है तू ,
भारत का गौरव-गान है तू ।
सप्त - सरित में प्रधान है तू ,
सब मानव का मुक्ति द्वार है तू ।
ध्यान रहे ! यदि इस धरती पर ,
गंगा नही रहेगी ।
जन-जीवन नही बचेगा ,
धर्म-संस्कृति नही रहेगी ।
हे पाप नाशिनी गंगा माँ ,
दो जन को आज सुविचार ।
विचलित और शर्मिन्दा हूं ,
में तेरी दशा निहार । मोक्षदायनी स्वयं मोक्ष के द्वार खड़ी ,
पतित पावनी है दूषित बेजार बड़ी ।
वैतरणी-सी हालत ठहरी ,
कभी रही जो तारणी गंगा ।
बची हुई अब इतनी गंगा ,
कहाँ गयी वो अपनी गंगा ?
नमामि गंगे ,हर-हर गंगे ,
सबने महिमा गाई है ।
तेरा जल है अमृत मैया ,
पानी नही दवाई है ।
तेरे इस वैभव को माता ,
फिर से वापस लाना है ।
गंगा को स्वच्छ बनाना है ,
मोती सा फिर चमकाना है ।
जिसने सबको तारा हर -पल ,
वो ही क्यों दुखियारी है ?
आज हिमालय की बेटी पर ,
देखो संकट भारी है ।
गंगा है तो भारत है ,
ये लोगों को समझाना है ।
सदियों से बहती धारा का ,
हम सबको कर्ज चुकाना है ।
गंगा को स्वच्छ बनाना है ,
मोती सा फिर चमकाना है ।
अरे! प्रशासन भी अब जाग उठा ,
हमे मिलकर हाथ बढ़ाना है ।
कूड़ा -कचरा , गन्दा नाला ,
गंगा से दूर ले जाना है ।
कारखानों का जहरीला जल ,
शव और हाँड़ी -राखी ।
नही होगा गंगा में विसर्जित ,
मुर्दा -पशु और पाखी ।
नदी नहीं , ये माँ से बढ़कर ,
इसकी महिमा न्यारी है ।
जो भी इसकी गोद में आया ,
उसकी विपदा हारी है ।
माँ , तुझको निर्मल रखने का ,
प्रण हमने अब ठाना है ।
गंगा को स्वच्छ बनाना है ,
मोती सा फिर चमकाना है ।
गंगा क्या है ज्ञान हमारा ,
इसकी क्षती ना हो पाए ।
बच्चा-बच्चा माँ की खातिर ,
अब फ़ौरन आगे आए ।
ये अपनी गंगा मैया है ,
हमे इसको आज बचाना है ।
हर-हर गंगे ,घर -घर गंगे ,
गीत यही दोहराना है ।
गंगा को स्वच्छ बनाना है ,
मोती सा फिर चमकाना है ।
हमें माँ का कर्ज चुकाना है ।।
सीता देवी राठी
आर ,एन रोड
Pin code--736101
कूचबिहार (पश्चिम बंगाल )
M.9332029419
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