गंगा को क्यों मैली करते, इस पर हम सब करें विचार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वहीं दोष के भागीदार ।।
गंगा यमुना मैली करते, जाकर खुद के धोने पाप ।
पावन नदियाँ मैली होकर,शायद देती होगी श्राप।।
दूषित जल से बोलो कैसे, जनता का होगा उद्धार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वहीं दोष के भागीदार ।।
नही जरा भी जल संकट की,जिनको है कोई परवाह।
व्यर्थ बहाते नीर बहुत सा,करते सबसे बड़ा गुनाह ।।
पाप-पुण्य के सदा बहाने, करते रहते कुछ व्यापर ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वहीं दोष के भागीदार ।।
प्लास्टिक में पानी को बेचे, करते बहुत बड़ा अपराध।
पाबंदी के बाद आज तक, अपने मतलब लेते साध ।।
ऐसे व्यवसायी लोगों से, बन्द करें अपना व्यवहार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वहीं दोष के भागीदार ।।
- लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
165, गंगोत्री नगर, गोपालपुरा टोंक रोड़, जयपुर (राजस्थान)
मो. 931424960
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