हर हर हर हे गंगे मैया,
सिर पर मात घनेरी छैया।
निर्मल पावन पाप नाशिनी,
पतितों के हित मोक्ष दायिनी।
बनना हे माँ सदा सहइया,
हर हर हर हे गंगे मैया।
नारायण के पांव पखारे,
कष्ट सभी के मात निवारे।
मृत्यु परम गोदी है पावन,
पाप शुद्ध करे जल पलावन।
सुमिरन करें कटे यम फइया,
हर हर हर हे गंगे मैया।
श्राप मुक्त करने को माई।
तारण सगर सुतों को आई।
तेज प्रताप सहा ना जाए,
महादेव की जटा समाए।
महिमा गा लगती हूँ पैया,
हर हर हर हे गंगे मैया।
शीतल जल की बहती धारा,
नमन करे तुझको जग सारा।
हिम नग से जोड़ो तुम सागर,
विष लेकर देती पय गागर।
पार लगा माँ मेरी नैया,
हर हर हर हे गंगे मैया।
डॉ प्रिया सूफ़ी
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