रचनाकार संख्या -23
नमन तुमको मां गंगा---!!
है नमन तुमको मातु गंगे।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।
जड़-चेतन की मोक्ष दायिनी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
(१)
है अलौकिक, ये दिव्य रुप तेरा
शिव जटाओं में है तुम्हारा डेरा
धवल , स्वच्छ , निर्मल है धारा
ऋषि मुनियों ने जीवन संवारा
है पुराणों में वर्णित कहानी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
(२)
भगीरथ की तुम हो धरोहर
तुमसे जीवित हैं नदियां सरोवर।
कामनाओं को है करती पूरक
पूजता तुमको जो बनकर याचक ।।
देती है जग को जिंदगानी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
(३)
पाप- पाखंड की है विनाशक
मॉ॑ तुम्हीं इस जगत की हो पोषक।
दीन-दुखियों की भरती है झोली
तेरे पर आया बन मैं सेवक।।
कर दया मुझ पर , मैं हूं अज्ञानी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
(४)
तुम तपोभूमि हो ऋषि- मुनि की
दें अमरता करती सबका तारण ।
यज्ञ वेदी की तुम ही हो ज्वाला
धर्म रक्षा, करती नव तन धारण ।।
अमृत से भी उत्तम तेरा पानी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी।।
(५)
पुण्य का फल देता तीर्थ सागर
पाप धोकर करता है उद्धारण ।
चारों तीर्थों से उज्जवल तेरा घर
शीश जिसका झुका,उसका तारण।।
देव-गंधर्व की सच्ची वाणी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
(६)
जन्म जिसका,मरण उसका निश्चित
अंत में सब तेरे दर पे आते ।
कर कलश-अस्थि का तुमको अर्पण
कर्म का पुण्य फल सब हैं पाते ।।
मॉऺ करो मुझ पर कृपा सुहानी ।
तेरी महिमा वेदों ने बखानी ।।
---------- आर सी यादव
जी- 40अध्यापक नगर नांगलोई दिल्ली
संपर्क सूत्र: 9818488852
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