कहानी
रेलगाडी पकडने के लिए सुरेखा घर से भोर में ही निकल आयी थी।सुरेखा घर की चौखट को आज पहली दफा पार किया था।उसका मन आसमान से भी ऊॅचा हो गया था ।सुबह तीन बजे ही स्टेशन यात्रियों से खचाखच भर गया था।वर्धा जाने के लिए राप्तीसागर एक्सप्रेस में सवार हो गयी।ट्रेन चली तो अपना शहर सिवान पीछे छुटता चला गया ।सुरेखा के जीवन में यह पहला अवसर था,जब घर से अकेली बाहर निकली हो।अब अपना शहर यादों में समीटता जा रहा था ।नये स्टेशनों को बड़ी उत्सुकता से देखती,रोम-रोम प्रफुल्लित हो उठता।माता-पिता के अरमानों को पूरा करने को संकल्पित होती और ख्यालों में खो जाती ।सावन की रिमझिम फुहार पड़ रही थी।पानी की बूंद जैसे सुरेखा के खुशी के फूल झर रहे हो।सुरेखा अपनी नयी दुनिया में गोता लगाकर डूबती-उतराती रही।अगले दिन सुबह ट्रेन वर्धा पहुंच गयी।सुरेखा अपना सामान लेकर स्टेशन से बाहर निकली,चारों ओर से आटो टैक्सी वालों ने घेर कर पूछने लगे "मैडम किथ्थे जाने का " सुरेखा बैग से एक लेटर निकाली और पढ़ते हुए आगे बढ़ा दिया।
"हो मैडम,हिन्दी विद्यापीठ जाने को है क्या ? " सुरेखा बोली -" महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय " "हो मैडम , उसमें दूर -दूर से बच्चे आकर पढ़ते हैं"
सुरेखा सहमती में अपना सिर हिलायी ।सौ रूपये में टैक्सी तय कर पहुंच गयी ।विश्वविद्यालय का कैंपस देखकर सुरेखा हताश होने लगी।देश का एकलौता अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय जैसे भुतहा पहाड़ी पर धनेसर काका का बथान हो।विभाग के कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने सुरेखा का हौसला बढ़ाया जिसके पश्चात साहित्य विद्यापीठ के स्त्री अध्ययन विभाग में पी-एच•डी• उपाधि हेतु अपना नामांकन करायी और महिला छात्रावास में शिफ्ट हो गई।
अभी सुरेखा को वर्धा आये चार दिन हि हुए थे कि कैंपस में मुलाकात एक क्रान्तिकारी शोधार्थी से हो गयी।मझौला कद का गोरा सा युवक ,जिसकी काली जुल्फे,गुलाबी गाल ,चेहरा के आधे हिस्से को उसकी दाढ़ी ढ़क लिया था ।ब्रांडेड जिन्स पर फटा हुआ खादी का कुर्ता पहने क्रान्ति की बोझ में इतना दबा था कि उसे दूर से देखने पर ही यकीन हो जाता था - - - - - इसे नहाये सिर्फ सप्ताह बीते होंगे।हमेशा उसके शरीर से क्रान्ति की गंध आती रहती थी।लाल गमछा के साथ झोला लटकाये सिगरेट फूंक कर क्रान्ति की चिन्गारी जला रहा था तभी सुरेखा ने कहा -"नमस्ते भैया" - - - - -" हूंह,ये संघी हिप्पोक्रेसी - - काहे का भैया और काहे का नमस्ते " हम इसी के खिलाफ तो लड़ रहे हैं।प्रगतिशीलता की लड़ाई - - समाजवाद की लड़ाई।ये घिसे-पिटे संस्कार - - - - - ये मानसिक गुलामी के सिवाय कुछ नहीं है।- - - आज से सिर्फ लाल सलाम साथी कहना । सुरेखा ने सकुचाते हुए पूछा -"आप क्या करते हैं ?" क्रान्तिकारी शोधार्थी ने कहा -"हम क्रान्ति करते हैं - - - - जल ,जंगल ,जमीन की लड़ाई लड़ते हैं - - - - शोषितों,वंचितों की आवाज उठाते हैं - - क्या तुम मेरे साथ क्रान्ति में सहयोग करोगी? सुरेखा ने सिर झुकायी और धीरे से कहा " नहीं,मैं यहाॅ पढ़ने आई हूं - - -कितने अरमान से मेरे किसान पिता ने यहाॅ भेजा है - - - -पढ़-लिखकर कुछ बन जाऊ तो समाज सेवा मेरा भी सपना है।क्रान्तिकारी कामरेड ने सिगरेट सुलगाई और बेतरतीब दाढ़ी को खुजलाते हुए कहा - " यही बात मार्क्स सोचे होते - - -लेनिन और मावो सोंचे होते - - ? तुमने पाश की वह कविता पढ़ी है - - सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना,तुम जिन्दा हो सुरेखा ।मुर्दा मत बनो - - - क्रान्ति को तुम्हारी जरूरत है - - -लो ,ये सिगरेट पियो ।सुरेखा ने कहा - - सिगरेट पीने से क्रान्ति कैसे होगी ? क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा - - याद करो मावो और देरिदा को , वे सिगरेट पीते थे - - -और जब लड़का पी सकता है तो लड़की क्यों नहीं - - हम इसी की तो लड़ाई लड़ रहे हैं।यही तो साम्यवाद है।मेरी बात गंभीरता से सुनो,कल हमारे प्रखर वक्ता समाजवादी कामरेड फलाना आ रहे हैं - - हम उनका भाषण सुनेंगे - - - और अपने आदिवासी साथियों के विद्रोह को मजबूत करेंगे।- -लाल सलाम - - मावो - - -लेनिन - - जिन्दाबाद जिन्दाबाद।सुरेखा ने कहा - - -लेकिन यह तो सरासर अन्याय है - - वे महंगे होटल में ठहरते हैं,वातानुकूलित कमरे में बिसलरी का पानी पीते हुए जल,जंगल,जमीन पर व्याख्यान देते हैं - - - और वे चाहते हैं कि गरीब -मजदूर जनता अपना सब कुछ छोड़कर नक्सली बन जाये और हथियार के बल पर समाज में भय पैदा करे और दिल्ली पर अपना अधिकार कर लें।यह क्या पागलपन है ? उनके अपने लड़के क्यों नहीं लड़ते ये लड़ाई - - - हमे क्यों लड़ा रहे हैं ? क्या यही क्रान्ति है ? क्रान्तिकारी कामरेड को गुस्सा आ गया,उसने कहा - -तुम पागल हो - -जाहिल गंवार लड़की,तुम्हें यह सब बिल्कुल समझ में नहीं आएगा - -तुमने अभी न दास कैपिटल पढ़ा है न कम्युनिस्ट मैनूफेस्टो - - न तुम साम्यवाद को ठीक से जानती हो और न ही पूंजीवाद ।सुरेखा ने प्रतिवाद करते हुए कहा - - लेकिन इतना जरूर जानती हूं कामरेड कि मार्क्सवाद शुद्ध विचार नहीं है - - इसमें मैन्यूफैक्चरिंग फाॅल्ट है।यह हीगल के द्वन्द्धवाद,इंग्लैण्ड के पूंजीवाद और फ्रांस के समाजवाद का मिला-जुला खिचड़ी है - -जो न भारतीय हित में है और न ही भारतीय जनमानस से मैच करता है।क्रान्तिकारी कामरेड ने तीसरी सिगरेड जलायी और हॅसते हुए कहा - - ये बुजुर्वा हिप्पोक्रेसी - - - तुम कुछ नहीं जानती - -ये सब अभी छोड़ों।तुम्हें अभी और पढ़ने की जरूरत है।कल आओ,हम गोरख पाण्डेय का वह गीत गायेंगे - - - हिलेला झकझोर दुनिया,- - समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई । उदास मौसम के खिलाफ अगले दिन खूब लड़ाई हुई।पोस्टर बैनर के साथ नारे लगे । सामूहिक रूप से डफली बजाकर जनगीत हुआ और क्रान्ति साइलेन्ट मोड में चली गयी - - तब तक सिगरेटों से निकलती हुई धुंआ गोल-गोल चक्कर काटते उड़ती जा रही थी।क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा - - सुरेखा,ये तुम्हारा नाम बड़ा कम्युनल लगता है - - - सुरेखा यदुवंशी ।तुम्हारे नाम से मनुवाद की बू आती है - - -कुछ प्रोग्रेसिव नाम होना चाहिए - - आई थिंक - - कामरेड टिसा ,सटीक रहेगा।सुरेखा अपना कामरेडी नामकरण संस्कार सुनकर हॅस रही थी तब तक क्रान्तिकारी कामरेड ने सुलगती सिगरेड को आगे कर दिया । सुरेखा दूर हटते हुए कहा - - - नहीं , ये नहीं हो सकता।क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा - - -तुम पागल लड़की हो - - क्रान्ति का पथ सिगरेट से ही शुरू होता है और शराब से - - - - यदा करो मार्क्स और लेनिन को ,सबने शराब पीने के बाद ही क्रान्ति किया है और तुम सिगरेट पीने से कतरा रही हो।सुरेखा ने कहा - -लेकिन सिगरेट तो विदेशी लग रहा है।अभी कुछ देर पहले हम अमेरिका को जी भर के गरिया रहे थे । क्रान्तिकारी कामरेड ने सिगरेट मुंह के पास सटाकर काजू का नमकीन उठाया और कहा - - अरे वो सब छोड़ो पागल - समय नहीं है - -क्रान्ति करो,दुनिया को तुम्हारी जरूरत है, याद करो कार्ल मार्क्स को - - लेनिन को ।सुरेखा का सारा विरोध मार्क्स,लेनिन और साम्यवाद के मोटे-मोटे सूत्रों के बोझ तले दब गया ,सुरेखा कुछ समय बाद नशे में थी ।क्रान्तिकारी कामरेड ने क्रान्ति के अगले सोपान पर जाकर कहा - - कामरेड टिसा ,अब यह सूट की जगह जिन्स और कुर्ती पहनो।सुरेखा ने कहा - - -इससे क्या होगा ? क्रान्तिकारी कामरेड ने उसका हाथ दबाते हुए कहा - - -अरे,तुम महसूस करो कि आजाद हो,ये गुलामी का प्रतीक है।यह पितृसत्ता के खिलाफ तुम्हारे विरोध का तरीका है।तुम नहीं जानती ,हजारों वर्षों से पुरूषों ने स्त्रियों का शोषण किया है।हम जल्द ही एक प्रोस्टेट करने वाले हैं - - - फिलिंग फ्रिडम थ्रो ब्रा ।जिसमें लड़कियां कैम्पस में बिना ब्रा पहने घुमेंगी ।सुरेखा अकबका गई । - - यह सब क्या बकवास है कामरेड - - -ब्रा न पहनने से आजादी का क्या रिश्ता ? क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा - - -यही तो स्त्री सशक्तिकरण है कामरेड टिसा - - - देह की आजादी । जब पुरूष कई स्त्रियों को भोग सकता है तो स्त्री क्यों नहीं - - - क्या तुम उन सभी शोषित स्त्रियों का बदला लेना चाहेगी ? सुरेखा ने कहा - - हाॅ,लेकिन कैसा बदला ? क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा - - देखो,जैसे पुरूष किसी स्त्री को भोगकर छोड़ देता है , वैसे तुम भी किसी पुरूष को भोगकर छोड़ दो । मुझे ही पुरूष का प्रतीक मान लो और हजारों सालों से शोषण का शिकार हो रही स्त्री का बदला लो । सुरेखा आहिस्ता-आहिस्ता गिलास खाली कर रही थी ।फिर देर रात तक लाल सलाम और क्रान्ति के साथ स्त्री सशक्तिकरण का दौर चला - - कामरेड ने दास कैपिटल को किनारे रख कर कामसूत्र का गहन अध्ययन किया।
सुरेखा अगले दिन कैंपस में आई तो उसके आॅखों में आॅसू थे।क्या करने आई थी,ये क्या करने लगी।किसान माॅ-बाप का चेहरा याद आया - - हाय - -कुछ दिन से कितनी चिड़चिड़ी होती जा रही - - चेहरा इतना मुरझाया सा - - अस्तित्व की हर चीज से नफरत होती जा रही।नकारात्मक बातें ही हर पल दिमाग में आती हैं।हर पल एक द्वन्द्ध सा बना रहता है। अरे , क्या पुरूषों की तरह काम करने से स्त्री सशक्तिकरण होगा कि स्त्री को हर जगह शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर देकर - - -सुरेखा का द्वन्द्ध जारी था ।उसने देखा क्रान्तिकारी कामरेड दूर खड़ा होकर सिगरेट फूंक रहा था - - -सुरेखा ने कहा- सुनो , मुझे मंदिर जाने का मन कर रहा है - - अजीब सी बेचैनी हो रही है - - लग रहा है पागल हो जाऊंगी । क्रान्तिकारी कामरेड ने सिगरेट फूंकते हुए कहा -पागल जैसी बात क्यों करती है ? क्या तुम नहीं जानती की धर्म अफीम है ? जल्दी तैयार हो जा - - कामरेड साथी हम लोगों का इन्तजार कर रहे हैं ।आज हम संघियों के सामने ही "किस आॅफ लव " करेंगे ,शाम को कसाब,याकूब,अफजल और बुरहान के समर्थन में साबित्रीबाई छात्रावास से पंचटिला तक कैंडील मार्च निकालेंगे।सुरेखा ने कहा -इससे क्या होगा ? ये सब तो आतंकी और देशद्रोही है,सैकड़ों बेगुनाहों की हत्या किये हैं- - कितनों का सिन्दूर उजाड़ा है।कितनों को अनाथ किये हैं।क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा-तुम पागल लड़की हो।सुरेखा सिसकने लगी - - मुझे नहीं जाना है,नहीं करनी है क्रान्ति,मैं यहाॅ पढ़ने आयी हूं।आज शाम मुझे आर्वी नाका पर दुर्गा मंदिर जाना है।मेरे माॅ-बाप कितने सपने देखे हैं मेरे लिए - -नहीं,ये सब हमसे नहीं होगा।क्रान्तिकारी कामरेड ने सुरेखा के चेहरा को हाथों में लेकर कहा - -तुमको हमसे प्रेम नहीं,ग़र है तो ये सब बकवास सोचना बंद करो - -याद करो कार्ल मार्क्स और लेनिन को - -सोचों जरा,क्या वे परेशानियों के सामने घुटने टेक दिये - -नहीं,उन्होंने क्रान्ति किया।आई विल फाइट कामरेड।सुरेखा बिलखती हुई बोली - -लेकिन हम किससे फाइट कर रहे हैं ? क्रान्तिकारी कामरेड अपनी आवाज तेज की और कहा - -यह सोचने का समय नहीं है।आज शाम को हम सभी महिषासुर की पूजा करेंगे और रात को बीफ पार्टी करके मनुवाद की ऐसी-तैसी कर देंगे।फिर ब्रान्डेड शराब के साथ गांजा की भी व्यवस्था है।सुरेखा को गुस्सा आ गया ।चेहरा तमतमा कर बोली- - अरे जब दुर्गा को मिथकीय कपोल कल्पना मानते हो तो महिषासुर की पूजा क्यों करोगे ? क्रान्तिकारी कामरेड ने कहा -ये समझाने का वक्त नहीं है - - तुम चलो ।मुझसे थोड़ा भी प्रेम है तो चलो।इस तरह से क्रान्ति की विधिवथ शुरूआत हुई।जो कई माह तक निरन्तर चलती रही।दिन में क्रान्ति और रात में बिस्तर पर लाल सलाम होता रहा ।सुरेखा अब प्रमाणित क्रान्तिकारी हो गयी थी।पढ़ाई-लिखाई छोड़कर सब कुछ करने लगी थी।कमरे की दीवार पर दुर्गा-हनुमान की जगह देरिदा,कार्ल मार्क्स और नागार्जुन की फोटो लग गया।अगरबत्ती की जगह सिगरेट और गर्भ निरोधक के साथ सिर दर्द और नींद की गोलियाॅ - - अब सुरेखा के सिर पर क्रान्ति का नशा हमेशा सवार होकर रहता ।ऐसे ही कुछ दिन बीत गया।एक सांझ की बात है।सुरेखा ने अपने क्रान्तिकारी कामरेड से कहा-सुनो कामरेड ,तुम पापा बनने वाले हो - - आओ अब शादी कर लें।सुरेखा की बात सुनकर क्रान्तिकारी कामरेड की हवा निकल गयी - - मैनफोर्स और मूड्स के विज्ञापनों से विश्वास उठ गया।उसने जोर से कहा - -नहीं सुरेखा - - - शादी कैसे होगी ? मेरे घर वाले इसे स्वीकार नहीं करेंगे।हमारी जाति और रहन-सहन सब अलग है - - यार सेक्स अलग बात है और शादी-वादी वही बुजुर्वा हिप्पोक्रेसी - - ये सब मुझे पसंद नहीं है।हम तो इसी के खिलाफ लड़ रहे हैं।।सुरेखा दहाड़ मार कर रोने लगी।वह नफरत और प्रतिशोध से भर गयी।लेकिन अब वहाॅ खड़ी थी ,जहाॅ से पीछे लौटना आसान नहीं था।कैंपस में चर्चा है कि क्रान्ति के पैदा होने से पहले ही क्रान्तिकारी कामरेड सुरेखा को छोड़कर फरार हो गया और विक्षिप्त रूप में भटक रहा है। क्रान्ति गर्भपात का शिकार हो गयी।इधर कुछ दिन पहले जानकारी मिली है कि क्रान्तिकारी कामरेड अपनी जाति में मोटी दहेज की राशि लेकर पारंपरिक रूप से विवाह किया है और अब दिल्ली के एक कालेज में पढ़ा रहे हैं और कामरेड सुरेखा अवसाद के हिमालय पर खड़े होकर सार्वजनिक गर्भपात के दर्द से उबरने के बाद जोर - जोर से नारा लगा रही है -लाले-लाले लाल सलाम - - - इंकलाब जिन्दाबाद ।
डाॅ•मन्नू राय
प्रखण्ड शिक्षक
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय पिठौरी पोस्ट -अघैला जिला - सिवान ( बिहार)
पिन-841436
मोबा नं-8292229480 9110038165
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