होली विशेष -23
"बसन्तन के दिन ,
आ गये री गुइयाँ...
०
पीरी-पीरी सरसों फूली ,
हरदी सी बगरावन के दिन !
आ गये री गुइयाँ !!
घर-घर लाल गुलाल के बदरा,
पिचकारिन रँग डारन के दिन!
आ गये री गुइयाँ !!
होरी-कबीरा जाँ-ताँ गब रये ,
चंग-मृदंग बजाबन के दिन !
आ गये री गुइयाँ !!
'शान्त'पपीहरा पीहु -पीहु बोलै,
विरहन अगन लगावन के दिन!
आ गये री गुइयाँ !!
बसन्तन के दिन-फागुन के दिन,
आ गये री गुइयाँ... ... ... !'
-देवकीनन्दन'शान्त',साहित्यभूषण
१०/३०/२,'शान्तम्',इन्दिरानगर, लखनऊ-२२६०१६(उप्र)!
9935217841;884054929
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