प्रेम फरवरी
वसन्त आगमन फागुन यौवन,
चैत्र शक्ति संचार करें हम।
आओ ! प्रेम संधान करें हम ।।
विद्या बुद्धि सुर दायिनी,
भारती मां हंस वाहिनी।
अर्चन वंदन और समर्पण,
आओ ! गीत का गान करें हम।। 1
कली पुष्प बन करके झूमें,
मादकता की मधुशाला में ।
भवरों का गुंजन कोलाहल,
आओ ! रस का पान करें हम।।2
पतझड़ की वेला है जाती,
प्रकृति नव रचना संग आती।
फाग सुहास पुलकित पात,
आओ ! स्वागत-सत्कार करें हम।।3
फागुन रंग बरसता आता,
जीवन को जीवन दे जाता।
भर पिचकारी हाथ गुलाल,
आओ ! सब मिल एक बनें हम।।4
भाषा मराठी जाति गुजराती,
केरल की मलयाली माटी।
पर्वत माला मण्डित वसुधा,
आओ ! भारत प्रेम करें हम ।।5
आओ ! प्रेम संधान करें हम ।।
***
स्वरचित-
रवीन्द्र जुगरान ,दिल्ली
सम्पर्क - 95 99 466 471
ईमेल - ravinder.jugran1@gmail.com
शार्टफिल्म, माडलिंग व फोटोशूट, फैशन शो के लिए
इच्छुक महिलाएं 7068990410 पर मैसेज करें
आगामी लेख/कविता/कहानी के लिए विषय - होली
इच्छुक महिलाएं 7068990410 पर मैसेज करें
आगामी लेख/कविता/कहानी के लिए विषय - होली
0 टिप्पणियाँ