आरजू है-राजाकांत राज

प्रेम फरवरी


आरजू है कि तू इनायत कर 
आइ तेरे लिये बगावत कर 


जब मुलाकात हो गयी दिलवर 
देख मुझसे अभी रिवायत कर


आपके है रहम अभी मुझ पर
बारहा तू अदब नसीहत कर 


देख थोड़ी अभी जवानी है 
भूल हो जाय तो हिदायत कर 


वो सितम ढ़ा रहा गरीबों पर 
राज करता रहा सियासत कर 


राजकांता राज 
पटना (बिहार)



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