रचनाकार संख्या - 90
जय भव तारिणी गंगे माता ।
पाप हारिणी शुभ फल दाता ।।
विष्णुपदी सुरलोक निवासिनी ,
ब्रह्म स्वरुपिणी हे नारायणी।
भगीरथ की तप फल दाई,
कपिल मुनि की गोद समाई ।
जटा शंकरी नाम विख्याता ।।
पाप हारिणी शुभ फल दाता ।।1
कलकल छलछल निर्मल धारा,
भारत भूमि तीर्थ बन सारा ।
जीवन दात्री अन्न जल देती,
वन्दन मंजन दुख हर लेती।
ईश विधाता गुण है गाता ।।
पाप हारिणी शुभ फल दाता ।।2
पाप धोय न मैली होई ।
दर्द तेरा न जाने कोई ।
जलअमृत कलुषित हैं कींहे,
तू स्वच्छ हम दूषित कीन्हें ।
शुद्ध पवित्र हे नमामि माता ।।
पाप हारिणी शुभ फल दाता ।।3
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रचनाकार:-
रवीन्द्र जुगरान
दिल्ली
सम्पर्क:- 95 99 466 471
ईमेल :- ravinder.jugran1@gmail.com
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