चल रहे है पाँव-रीता ठाकुर

चल रहे है पाँव तुमसे दूर पर ,
मन तुम्हारे पास रख आया हूँ मैं ।


गीत में ढाला तुम्हारे प्यार को ,
छन्द में सब भाव तुमको दे दिए ।
प्राण में भर ली तुम्हारी खुश्बुएँ,
पल रुपहले प्रेम के कुछ ले लिए ।।


सह रहा हूँ वेदना मैं विरह की ,
अश्रु पलकों में समो लाया हूँ मैं ।।


मन तुम्हारे पास रख आया हूँ मैं ।।


गा रहा मुझको अकेलापन यहाँ ।
सुर तुम्हें आवाज देने लग गए ।
थाम कर वीणा तुम्हें ही याद कर,
हाथ में सुर साज देने लग गए ।।


संकटों ने तोड़ दी हिम्मत मगर ,
देख तुमको धैर्य रख पाया हूँ मैं ।


मन तुम्हारे पास रख आया हूँ मैं ।।


गीत लहरों पर सजनि तुम आ रहीं ,
देखता मैं पलक मुँदती जा रहीं ।
स्वप्न में तुमको छुआ पल भर तभी,
देह चंदन सी महकती जा रही ।। 


दग्ध परवाना समझ लो तुम मुझे ,
अश्रु वर्षा में नित नहाया हूँ मैं । ।


मन तुम्हारे पास रख आया हूँ मैं ।।


देखता हूँ क्या लिखा तकदीर में ।
तुम मिलोगी या जियूँगा पीर में ।
कर रहा हूँ मैं प्रतीक्षा आस रख ,
ढूँढता हूँ प्रेम को तस्वीर में ।।


हूँ तुम्हारे प्रेम का कैदी मगर ,
विरह की श्यामल सजल छाया हूँ मैं ।


चल रहे है पाँव तुमसे दूर पर ,
मन तुम्हारे पास रख आया हूँ मैं ।
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रीता ठाकुर
अमेरिका


 


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