होली विशेष -21
छन्न पकैया छन्न पकैया, जंगल में है होली ।
हाथी,घोडा, चले जेबरा, लिए रंग की झोली।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बंदर बैठा ऊपर
रंग बिरंगे गुब्बारे वह , फेंक रहा है सबपर
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गज को मस्ती छाई
भाँग पी गया सब भालू का , कहता नाचो भाई
छन्न पकैया छन्न पकैया, भालू छम -छम ठुमके
ढोल बजाये बंदर ढम -ढम , मयुरा संग संग तुनके
छन्न पकैया छन्न पकैया, देख ख़ुशी की बेला
भांग घोट कर झूम रहा था , राजा शेर अकेला
छन्न पकैया छन्न पकैया, ढेरों सजी मिठाई
एक -एक कर चुपके -चुपके , चतुर लोमड़ी खाई
छन्न पकैया छन्न पकैया, रंगो की पिचकारी
मार रहे हैं जंगल में सब, मित्रों बारी -बारी
छन्न पकैया छन्न पकैया , करे न कोई दंगा
होली खेले सरी में डूबे , किया हृदय को चंगा
छन्न पकैया छन्न पकैया, मन का भेद मिटाये
जंगलवासी एक हमेशा , कहकर गले लगाये
पुष्प लता शर्मा
दिल्ली
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