देखा प्यार में-शुचि'भवि:

प्रेम फरवरी



जान  हम  पाये  नहीं  कैसे  मुहब्बत   हो   गयी
सच मगर अब तो यही है उनकी आदत हो  गयी


दिल किया करता है क्योंकर बस उन्हीं का इंतज़ार
और  वो  पूछा  करे  हैं  क्या हिमाक़त  हो  गयी


शब  रहे  या  हो  सहर आते  हैं  चुपके  से वही
कह रहा दिल अब ये मेरा देखो आफ़त हो गयी


सात  पर्दों  में   उसे  जब  भी  छुपाया  इश्क़  ने
हुस्न  के  दर  में  वफ़ा  की और इज़्ज़त हो गयी


शायरी  शायर  के  दम  से  जानते  तो  हैं  सभी
एक  ग़ज़ल  की  शेर में लेकिन शहादत हो गयी


जाति  मज़हब उम्र  रुतबा  किसने देखा प्यार में
'भवि' ये हो जायेगा जो प्रभु की इनायत हो गयी


शुचि'भवि'



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