होली विशेष
कोई लौंटा दें मेरी गाँव की होली
वो धूम धड़ाका मौज प्यार की होली
हफ्तों पहले से होती तैयारी
कोई टेता कुल्हाड़ी तो कोई आरी
बच्चें घर घर जाकर माँगते लकड़ी कंडा
ग्रामीण हँसकर देते यथा योग्य चंदा
शाम तक भर जाती समान से बच्चों की झोली
कोई लौटा दे मेरी गाँव की होली
होली जलते ही शुरू हो जाती हुड़दंग
बजने लगती ढोलक टिमकी और मृदंग
नाच उठते किशोर किशोरी बच्चें संग- संग
हवा में उड़ने लगती गुलाल टेशू के रंग
भांग के नशे में झूमती जनता भोली
कोई लौटा दे मेरी गाँव की होली
रात भर चलते रहती बच्चों की शरारत
लकड़ी फाटा चुराने में बड़ी महारत
वो खेतों से उखाड़ चना बाली
भूंज- भूंज होरा खाते बजा-बजा ताली
लक्खू की खटिया धरे-धरे चौक में बने डोली
कोई लौटा दे मेरी गाँव की होली
सुबह होते ग्रहणी ले जाती होली से आग
रात भर मतंग फगुआ गाते रहें फाग
सुबह से शुरू किचड़ पानी रंग पिचकारी
होती हँसी ठिठोली कोई देता भद्दी गाली
रुक-रुक कर गुजरती गोविंदाओ की टोली
कोई लौटा दे मेरी गाँव की होली
समय बदला त्यौहार लगे फिंका- फिंका
जेब से गुलाल निकाल बस लगाते टीका
परिवार में बच्चें बूढ़े नही मुस्कुरातें
नेट टीवी में डूबे बहार नहीं आते
अब रस्ते में भी नहीं मिलते हमझोली
कोई लौटा दे मेरी गाँव की होली
लक्ष्मण प्रसाद डेहरिया ख़ोमोश
गली न. 2 गीतांजलि कॉलोनी वार्ड नं 21 छिन्दवाड़ा
9407078631
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