फ़ाग के दोहे- आभा मेहता

होली विशेष - 11
-
यमुना जल भर होद में,चन्दन केसर घोल।
आतुर वृजललना खड़ी,रँगने भर-भर डोल।।


होली के हुरियार का,गली- गली में शोर।
बरसाने में आ गया,रंगीला चितचोर।।


भर पिचकारी रंग से,कान्हा पीछे आय।
बरजोरा है साँवरा,राधाजु को सताय।।


रंग अबीर गुलाल का,उड़ता चारों ओर।
नभ तक छाई लालिमा,जैसे अरुणिम भोर।।


गोपी कहती राधिके,चाहे कर लो ओट।
कान्हा मनमौजी बड़ा,उसके मन में खोट।।


ढूंढ लिया हर ठौर जा,हँसता नन्दकिशोर। 
किया इशारा ग्वाल ने,झपटा माखनचोर।।


डूबा तन-मन रंग में,श्याम रंग में गाँव।
कीच मच गया राह में,फिसले जाएँ पाँव।।
   
      -आभा मेहता


05 अप्रैल 2020 को महिला उत्‍थान दिवस पर आयो‍जित
कवयित्री सम्‍मेलन, फैंशन शो व सम्‍मान समारोह में आपको 
सादर आमंत्रित करते हैं।


शार्ट फिल्‍म व माडलिंग के इच्‍छुक सम्‍पर्क करें 7068990410


 




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ