प्रेम फरवरी
ख्वाबों की दुनियाँ सजी ,
दिल बैठी मैं हार ।
क्या चलोगे साथ मेरे ,
उस गगन के पार ।
अवगुंठन को उठा कर ,
चाहत से देखना यूँ।
बेमौसम बरसना तेरा,
शरारत करना यूँ।
मौसम आया प्यार का
करना मत तकरार ।
क्या चलोगे साथ मेरे ,
उस गगन के पार।
हौले से दिल में उतरे
रोशन हुईं सभी राहें।
रातरानी लगी बिखरने,
जोड़ रही दिल के तार ।
क्या चलोगे साथ मेरे ,
उस गगन के पार।
आइना तेरा बन मुस्काऊँ,
ख्यालों में अक्स उतार लाऊँ।
लवों की प्यास नैनो उतरी ,
दे दो आँखों को दीदार ।
क्या चलोगे साथ मेरे ,
उस गगन के पार।
फागुनी बयार फिर बही,
गंध महुआ बहकने लगी।
किंशुक हुये अब लाल हैं,
आजाओ प्रीतम द्वार ।
क्या चलोगे साथ मेरे
उस गगन के पार ।
मनोरमा जैन पाखी
स्वरचित ,06/02/2020
शार्टफिल्म व माडलिंग में कार्य हेतु 7068990410
आगामी विषय..लेख/कविता/कहानी ..होली पर
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