ग़ज़ल - निधि गौतम

होली विशेष - 05


आई रे आई होली रे
भरके रंगों की झोली रे।


नैनों में छाई मदहोशी
मस्ती में नाचे टोली रे।


दिल की बातें कह भी दो अब
सैया की मीठी बोली रे।


छेड़े हैं वो तो सजनी को
भींगी है उसकी चोली रे।


नीधी की यह चाहत है अब
कष्टों को हर ले होली रे।
  *निधि गौतम 
     मुंबई


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