प्रेम फरवरी
"अगर इजाज़त हो"
बन के भंवरा ये कली
पास तेरे मैं आऊँ,
अगर इजाजत हो तो
तेरा रसपान मैं कर पाऊँ।
बन परवाना ये शमां
पास तेरे मैं आऊँ,
अगर इजाजत हो तो
प्रेम की आग बुझाऊँ।
बन आशिक ये माशूका
पास तेरे मैं आऊँ,
अगर इजाजत हो तो
तुझे प्रेम गीत सुनाऊँ।
बन दूल्हा ये दुल्हन
मैं बारात ले के आऊँ,
अगर इजाजत हो तो
तुझे प्रेम हार पहनाऊँ।
बन साजन ये सजनी
तेरा साथ निभाऊं,
अगर इजाजत हो तो
घूंघट जरा हटाऊँ।
बन दीवाना ये दीवानी
तुझको मैं ले जाऊं,
अगर इजाजत हो तो
अपनी दीवानगी दिखाऊँ।
दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
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