हमारी वफ़ाएँ- आभा मेहता

प्रेमगीत -फरवरी


तुम्हें याद मेरी सताती नहीं है,
हमें याद रातों रुलाती रही हैं।


कभी नाम लेके पुकारा तुम्हें था,
तभी तो बनाया सहारा तुम्हें था।
कभी चाँद भीगा कभी रात रोई,
कभी हाथ में हाथ आँखें भिगोई।
वफ़ाएँ वही गीत गाती रहीं हैं,
हमें ये हमेशा रुलाती रहीं हैं।


हिये प्रेम लौ को जलाया तुम्हीं ने,
बड़ी आँधियों से बचाया तुम्हीं ने।
घिरी मोज से ही भले हो रवानी,
रहेगी अधूरी हमारी कहानी।
कभी साथ थे ये बताती रही हैं,
हमें ये हमेशा रुलाती रही हैं।


न देखा न सोचा कहाँ आ गये हैं,
कहे ये जमाना तुम्हारे हुए हैं।
बुला लो ज़रा पास आवाज दे दो,
मिटे थे जिसे देख अंदाज़ दे दो।
जमीं आसमाँ को भुलाती नहीं है,
हमें ये हमेशा रुलाती रही हैं।


कभी याद आएँ हमारी वफ़ाएँ,
परेशां करें जो हमारी सदाएँ।
कहीं जो लिखा नाम मेरा मिलेगा,
वही दर्द के ज़ख्म सौ सौ सिलेगा।
दवा बन गले से लगाती रही है,
हमें ये हमेशा रुलाती रही है।
    -आभा मेहता


 


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