होली विशेष
रंग बिरंगी है यह धरती, लगता हर दिन होली है।
प्रातःकाल की उषा वेला में जैसे सूर्यकिरणों ने लगा दी रोली है ।।
हरी घास और पत्तियां ओस की बूंदों से कुछ गीली हंै।
खेतों की लहराती फसलें, मखमली और हरीली हंै।।
बाग-बगीचे और उपवन में, लाल,पीले कुसुम व कलियां हैं।
गंेदा,गुलाब, चंपा, चमेली, अनार कली व डलिया है।।
नदी,नहर, तालाब, झील, समुंदर,गगन सब नीले हैं।
तोते हरे काग,कोयल काले सब नभचर व मयूर रंगीले हैं।।
मिट्टी, रेत, पेड़, पहाड़ और भूरे रंग के टीले हैं।
जो सूरज की स्वर्णिम किरणों से पीले और चमकीले है।।
बसंत पंचमी और होली तो इन्ही रंगों की प्रतिच्छाया है।
प्यार और उमंग से रंगकर इसने हर मन को लुभाया है।।
डाॅ.जमुना कृष्णराज,चेन्नई
मो.नंः 9444400820
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