होली विशेष - 03
रंगो से जीवन मे आए बहार। बिना रंग के सूना ये संसार। होली समूचे भारत की धरा को रंगो की मखमली चादर ओढा देती है। ऐसे मे भारत का अहम हिस्सा उतर पूर्व भारत कैसे वंचित रह सकता है। असम मे होली का त्योहार बडे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
जैसा कि सर्वविदित है कि असम मे लम्बे अर्से से उतर भारत के लोग रहते आए है। उन्होने अपनी संस्कृति व कला की छाप असम मे भी छोडी और अपने त्योहारों को यहां सार्वजनिक रूप मे मनाया। इससे सबसे बडा लाभ हुआ कि समन्वय का भाव एकता को प्रगाढ़ कर गया।
उतर भारत खासकर राजस्थान की झलक विशेषत देखने को मिलती है। होली के पहले भर पहले ही चंग की धुन बजने लगती है। बाजारो मे विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नृत्य व गायन का आंनद जमकर लिया जाता है। महीने भर तक ये जश्न चलता है।असम वासियों के लिए उत्साह का त्योहार होता है। होली के दिन घरो मे पीठा बनाते है। ये व्यंजन खास होता है इसे चावल के आटे, नारियल, गुड, शक्कर व तिल से तैयार किया जाता है। फुलाम गम्छा से बडे आदरणीय लोगो का सत्कार करते है। ईश्वर के चरणों मे अबीर अर्पण कर आपस मे गुलाल से खेलते है।
इस दिन लगता है मानो मानवता की कोई जाति नही होती। कोई समुदाय प्रेम की सूत्रता से विरक्त नही रह सकता। दो दिवस तक भरपूर रंग खेला जाता है। महिलाएं भी शामिल हो कर आनंद लेती है। बच्चो मे उत्साह भरपूर रहता है।
ठीक कहा है किसीने त्योहार हमारी एकता के मुख्य आधार है।
हेमलता गोलछा, गुवाहाटी, असम
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
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