होली के रंग -राघवेंद्र

होली विशेष
होली के रंग हो,
तू मेरे संग हो,
प्रेमरंग में आओ भीग जाएं,
तुम गुलाल लगाओ हमें,
हम तुम्हारे गुलाल लगाएं..!
प्रेमरंग में चुनर आ मैं तेरी रंगू,
राधिका तू मेरी और मैं मोहन बनूं,
प्रेम का राग गीतों में छेड़ूँ अपने,
बाँसुरी तू बने और मैं तान बनूं।।
ऋतु बसन्ती के संग,
भर नई एक उमंग,
प्रेम रस में आ डूब जाएं,
तुम गुलाल लगाओ हमें,
हम तुम्हारे गुलाल लगाएं..!
छोड़ दो सारे शिकवे गिले मुझसे तुम,
तोड़ दो झूठी रश्मों और कसमों को तुम,
जो तू होली बने मैं गुलाल बनूं,
प्रेमरंग की होली मिलके खेलें हम तुम।।
दुनिया में है अमर,
प्रेम का सरोवर,
आजा डूब के इसमें नहाएं,
तुम गुलाल लगाओ हमें,
हम तुम्हारे गुलाल लगाएं..!
प्रीत करनी है सुवर्चला सी करो,
प्रीत में मीरा सा समर्पण करो,
'रघुवंशी' न पर्दा न गांठ पड़े,
मीन और जल के जैसी तुम प्रीत करो,
मन में जितना आया, 
सिर्फ़ तुमको गाया,
आओ पय रंग बन होली मनाएं,
तुम गुलाल लगाओ हमें,
हम तुम्हारे गुलाल लगाएं..!



© राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'


05 अप्रैल 2020 को महिला उत्‍थान दिवस पर आयो‍जित
कवयित्री सम्‍मेलन, फैंशन शो व सम्‍मान समारोह में आपको 
सादर आमंत्रित करते हैं।
पत्रिका के साप्ताहिक आयोजनो में करें प्रतिभाग
शार्ट फिल्‍म व माडलिंग के इच्‍छुक सम्‍पर्क करें 7068990410




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ