होली पर्व की पौराणिक कथा- आशा जाकड़

होली विशेष


होली हिंदुओं का एक धार्मिक पर्व है। यह फागुन मास की पूर्णमासी को मनाया जाता है। पूर्णमासी को होली की पूजा कर मुहूर्त्त देखकर जलाई जाती है और दूसरे दिन होली खेली जाती है ।यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है । यह रंगों का त्योहार है एक दूसरे के ऊपर रंग डाल कर नफरत को मिटाकर  प्रेम से गले मिलते हैं होली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है।  हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राक्षस राजा था। जिसने ब्रह्माजी की तपस्या करके उनसे यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि वह दिन- रात , किसी जीव  -जंतु , मनुष्य  या घर के बाहर या अंदर या किसु शस्त्र के द्वारा मृत्यु को प्राप्त  न हो।हिरण्यकश्यप की पत्नी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति की थी। उसका बेटा प्रहलाद भी भगवान का भक्त था ।  हिरण्यकश्यप  का कहना था कि प्रहलाद उसकी पूजा करें न किसी अन्य भगवान की। लेकिन प्रह्लाद ने उसका कहना नहीं माना। वह भगवान की भक्ति में ही लगा रहता ।हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के कई उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से वह हमेशा बच जाता। तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के द्वारा उसे मारने की योजना बनाई क्योंकि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था ।अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को बिठाकर आगमें जलाने का निश्चय किया।
ईश्वर की कृपा से पहलाद बच गया और होलिका जल गई ।तबसे  होली का त्योहार मनाया जाता है।प्रति वर्ष होलिका दहन किया जाता है उसके बाद एक दूसरे के ऊपर रंग डाल कर होली का त्यौहार मनाया जाता है।। मथुरा की होली सबसे अधिक प्रसिद्ध है। वहाँ की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।



आशा जाकड़
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