इंदू का खत उनके नाम।

पाती प्रेम की संख्‍या -01


मेरे प्रियवर ,मधुर स्मृति !
                               तुम्हारी यादों की गठरी सम्हाले वर्षों से जी रही हूँ मैं ।तुम्हारी यादें मेरे जीवन की धरोहर हैं ,जो कभी हँसाती हैं तो कभी रोने को कर देती हैं विवश ।न जाने कौन-सा मंत्र पढ़ा तुमने जिससे मैं खिंची चली आई तुम्हारी आग़ोश में ।बेरंग ज़िंदगी को विभिन्न रंगों से भर दिया तुमने ।ज़िंदगी को एक अलग अंदाज दे दिया जीने का ।तुम मेरे पास हो या दूर कोई फ़र्क अब नहीं पड़ता क्योंकि तुम मेरे मन मंदिर में समाए हुए हो ।तुम्हारा एहसास जीने एक नया अंदाज़ दे जाता है । सोचने -समझने का एक नया नज़रिया विकसित कर दिया तुमने और क़रीब महसूस किया है तुम्हें खोकर मैंने ।तुम्हारे एक एक शब्द करते रहते हैं मेरे मन को उद्वेलित और देते रहते हैं मेरे मन को संबल ।मेरे प्राण ,तुम भी अधूरी तो हूँ लेकिन बहुत सौभाग्यशाली भी हूँ पाकर तुम्हारा प्रेम ।तुम सदा सलामत रहो ,यही कामना करती हूँ हमेशा ।
                                                                                                                                    इंदु किरण।



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