जिन्‍दगी का मजा - माधुरी पौराणिक

प्रेम फरवरी



क्यू नजरे चुरा रहे  हो   मेरा  दिल  तोड़  कर  

यु  फासले  ना  बनाओ  मुह  मोड़कर  ,,

मोहब्बत  किये  जाओ  दिल  खोलकर  

क्या  रखा  हे  नफरतो   में 

जिए  जाओ  यु जी  खोलकर 

जिन्दगी  का  मजा  लो 

बस  मजा  सजा  न    हो 

ये  सोचकर

हा  हर  वो  दर्द छुपाना  चाहती  हूँ

जो  दिल  को  दुखा जाये  

वो दर्द  मिटाना  चाहती  हूँ

खवाब सजाना ऐसा   चाहती  हूँ

पुरे  हो  जो  वो  खवाब  देखना  चाहती  हूँ

वो  प्यार  लुटाना  चाहती  हूँ जो  नफरते  मिटा  दे  

वो नफरते  मिटाना  चाहती  हूँ   

लोग जिसे  सुन  के  मुस्करा  दे  

इसे  गीत  गुनगुनाना  चाहती  हूँ 

में  मधु मधुर बोली  सुना ना  चाहती  हूँ

 

माधुरी पौराणिक

शिक्षक झाँसी उत्तर प्रदेश

 

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