कैसे भूँलू - प्रो डा सुधा सिन्हा

प्रेम फरवरी


बहुत कोशिशें की तुम्हें भूलने की,
बहुत कोशिशें की होठ सिलने की,
जुबां जो न कह‌ सकी आंखों ने कह दिया,
जो बात मैं न कह सकी नजर ने सुना दिया,
कि प्यार हो जाता है किया जाता नही।
तुम्हीं मेरी वीणा तुम्हीं मेरे सरगम,
तुम्हीं मेरे सबकुछ हो ऐ मेरे हमदम,
तुम्हारी प्रतीक्षा मे पलकें बिछाए ,
जो हां कह दो बैठूंगी अगले जन्म तक ,
कि प्यार हो जाता है किया जाता नहीं।
मर कर भी  मैं तो जन्म लूंगी जानम,
हमारा तुम्हारा है जन्मों का बंधन,
अब कोई तुमसे न शिकवा करूंगी,
दिल की धड़कन बन धड़कना चाहूंगी,
कि प्यार हो जाता है किया जाता नहीं।


प्रो डा सुधा सिन्हा


पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष दर्शन शास्त्र विभाग पटना विश्वविद्यालय


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