प्रेम फरवरी
दीपक में जलती बाती सा होता है इश्क
्तू्फान में तिनके के सहारे सा होता है इश्क
घने जंगल में जुगनू की चमक सा होता है इश्क
प्राणों में साँसों की चलन सा होता है इश्क।।
दुखों के बवंड़र में नन्हीं आस सा होता है इश्क
सुखों के सागर में आल्हादित लहरों सा होता है इश्क
अकेलेपन में यादों सा होता है इश्क
जीवन जब हार जाए , विश्वास सा होता है इश्क ।।
धूप में बादल की छाँव सा होता है इश्क
अमावस की रात में नयनतारे सा होता है इश्क
सूखे पेड पर इक हरे पते सा होता है इश्क
फूलों में भीनी खुशबू सा होता है इश्क ।।
पूस की रात में अलाव की गरमाहट सा होता है इश्क
रिमझिम बरखा में मयूर नृत्य सा होता है इश्क
खामोशियों को जो ,गुनगुनाए वो होता है इश्क
जागती आँखों में मीठे सपन सा होता है इश्क।।
पपीहे की पुकार सा होता है इश्क
हंसो के जुड़ाव सा होता है इश्क
कपोत-युगल की मिठास सा होता है इश्क
हिरणी की चंचलता सा होता है इश्क।।
आस सा, विश्वास सा, कोमल एहसास सा होता है इश्क।।**
मौलिक और स्वरचित है ।
ड़ा.नीना छिब्बर
17/653
, चोपासनी हाउसिंग बोर्ड़।
जोधपुर 3420
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आगामी लेख/कविता/कहानी के लिए विषय - होली
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