प्रेम फरवरी
एक आग सी लगी है मन मे अब भी तेरी उन बातों से
नाता है आज भी मेरा कुछ उन साथ मे बीती रातों से
मैं ठहरा हूँ चलता है समय जैसे दो दिन की बात कोई
एक डोर कोई है बंधी हुई तेरी गर्म उन सासों से
आँखे हैं भरी पर रोता नही मैं टूट के जुड़ा दिखाता हूँ
दिल भारी पर है आज भी तो तेरे ही उन अहसासों से
मैं रहा समर्पित तेरे लिए दिल को मेरे कुछ चैन मिला
पर तू बैरी दुनिया जुल्मी खेले सब मिल जज्बातों से
माही न समझ कोई बात नही एक यारी तो पर रहने दे
दामन थोड़ा बचता तो रहे इन चुभने वाले काँटों से
इंदुरानी,अमरोहा
स अध्यापक,जूनियर हाईस्कूल, सलारपुर खालसा,जोया,अमरोहा,244222
ईमेल,induranimbd169@gmail.com
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15 फरवरी से 28 फरवरी गीत/गजल/लेख/मुक्तक लेखन विषय- होली
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