होली विशेष
बैरन मनवा बेकल भया बेहाल भैया भया अंग अंग
कैसे को खेलो बोलो मोरे रसिया होरी बिन तोरे संग
लाल लाल टेसू के रंग मोहे बड़ा सुहाय
सरसों के फूल खेतों में देख मनवा हर्षिआए
मीठी सौंधी खुशबू बिखेर रही है महुआ की सुगंध
बैरन मनवा बेकल भया बेहाल भया अंग अंग
कैसे खेलूं मोरे रसिया होरी मैं बिन तोरे संग
हिरण्यकशिपु राजा के घर पुत्र भय प्रहलाद
बुआ बनी होली का ना जलने का जिन्हें मिला प्रसाद
जलकर बुआ खाक हुई भक्त प्रह्लाद जीते जंग
बैरन मनवा बेकल भया बेहाल भया अंग अंग
कैसे खेलूं बोलो मोरे रसिया होरी मैं बिन तोरे संग
हुड़दंग करते गलियों में खेलन को ले अबीर गुलाल
लहंगा चुनरी चोली रंग से करते लालम लाल
गोप गोपियां सराबोर हुए एक दूजे को डाल रंग
बैरन मनवा बेकल भया बेहाल भया अंग अंग
कैसे खेलूं बोलो मोरे रसिया होरी मैं बिन तोरे संग
फागुन आया पतझड़ बीता ले के साथ बसंत
बूढ़े भी जवान लगे अंदर से हुए मदमस्त अनंत
साली से हंसी ठिठोली पत्नी भई कटी पतंग
बैरन मनवा बेकल भया बेहाल भया अंग अंग
कैसे खेलूं बोलो मोरे रसिया होरी मैं बिन तोरे संग
डॉ बीना सिंह दुर्ग
छत्तीसगढ़
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