प्रेम फरवरी
मानो या ना मानो
तुमको मुझसे प्यार है
तभी तो बार बार
होता तुमसे तकरार है।
तुम कहती भले नहीं
तुमको मुझसे प्यार है
नज़रें तेरी हरदम कहती
तुझसे ही इकरार है
पलकें झुकती इजहार में
हर एक मुद्रा तेरी कहती
मैं नदी की नाव,
तू ही पतवार है।
मानो या ना मानो
तुमको मुझसे प्यार है
अब कर भी दो
तुम भी इजहार
मुझे इसका वर्षों से
इंतज़ार है।
सुनने के लिए
तुम्हारे लबों से
वो अनमोल शब्द
मेरा हृदय कबसे
बेकरार है।
मानो या ना मानो
तुमको मुझसे प्यार है।
संतोष कुमार वर्मा ' कविराज '
कांकिनाड़ा, कोलकाता
पश्चिम बंगाल
ईमेल - skverma0531@gmail.com
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