महीनो पहले-रीता जयहिंद

होली विशेष


फागुन का महीना आने वाला है घर परिवार में खूब रौनक है क्योंकि यशोदा के तीन बेटे हैं सबसे छोटे बेटे की शादी अभी एक महीना पहले ही की है..छोटी बहू ऋचा आजकल के माॅडर्न ख्यालात की..भोजन वगैरह में सब्जियां तो ठीक से नहीं बना पाती पर सीखने का प्रयास करती है अभी नई-नई शादी हुई है तो तो सास यशोदा और जेठानी हिना और मीना ज्यादा काम करने भी नहीं देती पर खाने में पिज्जा,बर्गर, इडली, डोसा ,नूडल्स और आइसक्रीम वगैरह बहुत स्वादिष्ट बना लेती है जो कि घर में अन्य किसी को बनानी नहीं आती और इन चीजों को बहुत शौक से बनाती और खिलाती है "..सच पूछिए तो बनाने से ज्यादा उसे खिलाने में आनंद आता है और जेठानी के बच्चे तो बस फ़रमाइश ही करते रहते हैं चाची आज ये डिश खानी है वगैरह-वगैरह.."
इस होली पर सभी को छोटी बहू ऋचा के हाथ से गुझिया खानी है बातों-बातों में सासु माँ यशोदा ने पूछ लिया था बहू होली आने वाली है सबकी इच्छा है नई बहू के हाथ की गुझिया खाने की.. तुम्हें गुझिया बनानी आती है?पर होली पर माँ ही गुझिया बनाती थी उसे तो गुझिया बनानी नहीं आती उसने बात को टालते हुए कहा "..माँ जी पहला त्यौहार है..मम्मी ने कहा था वो होली पर बहुत सारी गुझिया और शगुन देकर जाएंगी.." पर सासु ने कहा कि हमें भी तो घर पर परम्परा अनुसार रीति-रिवाज़ करने हैं तो गुझिया तुम बनाना..अब ऋचा ने सोचा यदि मैं कहूँगी कि मुझे गुझिया बनानी नहीं आती तो सासु माँ का और परिवार में सभी का दिल टूट जाएगा..इसलिए उसने ये सोचकर हाँ कर दी कि एक दिन मायके जाकर अपनी मम्मी से सीख आऊँगी।
होली में सिर्फ पाँच-छः दिन ही शेष बचे थे ऋचा सोच रही थी कि मायके जाऊँ और गुझिया बनाना सीख लूँ पर त्यौहार की वजह से रिश्तेदार भी आ-जा रहे थे..दौनों ननद भी चार दिनों के लिए मायके आ गई थी कि नई भाभी ऋचा के हाथों से बनी गुझिया खाएँगी सासु माँ ने ऋचा से कह दिया था तुम ज्यादा फिक्र मत करना बाकी भोजन.. दही बड़ा और सब्जियां पूरी सब दोनों बड़ी बहुएं और हम बना लेंगे तुम्हें सिर्फ गुझिया बनानी है ।दौनो बेटियाँ भी ससुराल विदा होंगी उनके लिए भी देनी है।
ऋचा ने पति धीरज को अपनी परेशानी बताई कि मैंने गुझिया बनाने के लिए माँ जी को हाँ कर दी पर मुझे तो गुझिया बनानी ही नहीं आती अब क्या किया जाए? धीरज ने सलाह दी कि माँ जी और सभी बहुत अच्छे हैं वो बुरा नहीं मानेंगे तुम अपनी गलती बता दो और माफी माँग लो.. तो ऋचा ने कहा कि मुझे मालूम है सभी मुझसे बहुत स्नेह करते हैं मुझे माफ कर देंगे..पर मैं नहीं चाहती कि माँ जी या परिवार में किसी का दिल टूटे..तो धीरज ने कहा कि..अभी तीन दिन हैं होली में मुझे एकाध दिन सोचने दो और अगले दिन सुबह दफ्तर जाने से पहले धीरज ने ऋचा को कहा कि एक आइडिया है तुम उसे आजमा सकती हो..ऋचा ने उत्सुकता से कहा कि जल्दी से बताओ कैसे गुझिया बनाएँ..धीरज ने बताया कि मैं शाम को आॅफिस से लौटते समय रैसिपी बुक लेता आऊँगा तुम अच्छी तरह से उसकी विधि पढ़कर सीख लेना बहुत आसानी से गुझिया बन जाएगी और मैं भी गुझिया बनाने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगा।आज होलिका दहन पर सभी को होली मैया की पूजा करने मंदिर के बाहर जाना है माँ ने सभी बहुओं और बच्चों को तैयार होकर चलने को कहा और सभी साथ जाकर घर के नज़दीक वाले मंदिर के बाहर होली मिलन व होलिका मैया की पूजा की और  बहुओं ने सासु माँ से  पाँव छूकर आशीर्वाद लिया और ऋचा ने भी भी सासू माँ और दौनों जेठानी के पाँव छूकर आशीर्वाद लिया।
आज ऋचा बहुत प्रसन्न थी धीरज  द्वारा रैसिपी बुक से उसने चुपचाप अपने कमरे में गुझिया बनानी सीख ली थी अब वो पूरी तरह से तैयार थी और उसने धीरज को सभी सामग्री लाने को कह दिया था..शाम तक गुझिया के लिए सभी सामान पति धीरज ने लाकर दे दिया था..आज गुझिया बनाते समय ऋचा के चेहरे पर आत्मविश्वास के भाव थे और दूसरे दिन होली थी..अब पहली बार गुझिया बनाने का ऋचा का अनुभव भी था और शौक भी.. आज वो कुशल ग्रहणी की तरह गुझिया बना रही थी.. घर के सभी सदस्य बहुत प्रसन्न थे सभी बहुत तारीफ कर रहे थे..और सासू माँ तो तारीफ करती नहीं थक रही थी।घर-परिवार में बहुत खुशी का माहौल था..बच्चे भी ऊधम मचा रहे थे सबने रंग-गुलाल के साथ खूब होली खेली। होली खेलकर सभी ने नहाकर साथ मिलकर गरमा-गरम खाना खाया।
दोनों ननदों को भी अच्छी तरह उपहार और गुझिया देकर विदा किया..जब सब कुछ अच्छी तरह से निपट गया ऋचा की आँखों से खुशी के आँसू आने लगे और वो पति धीरज से लिपटकर खूब रोई माँजी ने पूछा क्या हुआ बहू?किसी ने डाँट दिया क्या?
ऋचा ने कहा नहीं माँजी आपके बेटे की वजह से मैं इतनी अच्छी गुझिया बना सकी प्रशंसा करनी है तो धीरज की करिए यदि आज धीरज पकवान की रैसिपी बुक नहीं लाते तो मुझे गुझिया बनानी नहीं आती थी सभी बहुत खुश थे और बच्चे कह रहे थे अब तो होली पर हम चाची के हाथ की गुझिया ही खाया करेंगे बच्चों की बात पर सभी जोर-जोर की हँसने लगे।


धन्यवाद
रीता जयहिन्द ऱश्मि
दिल्‍ली


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