पाती प्रेम की
सुनो न,
और क्या कहू?तुम्हारे चाहने पर भी कोई हक नहीं दिया मैंने।फिर आज ये दुविधा क्यों,? चाँद सी महबूबा हो मेरी ,कब ऐसा मैंने सोचा था। हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था।
यही गीत गुनगुगाते थे न हमेशा मुझे देख कर ,और मैं गुस्से में आँखें तरेरती तो एक मीठी मुस्कान तुम्हारे होंठों पर तैर जाती और आँखों में ठुकराये जाने का दर्द। आज पच्चीस सालों बाद यह सब याद करके मन में शहद घुल रहा है।उस समय क्यों न समझ सकी। कितना कुछ याद आ गया आज वैलेंटाइन का कार्ड देख कर ।जो कालेज में चुपके से मेरी नोटबुक में रखा था तुमने। उस पर कुछ शेर लिखे थे न ,और साथ में एक सवाल भी कि क्या बनोगी मेरी वैलंटाइन। सिर्फ साल दो साल के लिए नहीं ।पूरी जिंदगी के लिए #भोलू। अक्सर यही तो कहते थे जब मैं तुम्हारी हरकतों पर चिढ़ उपदेश और आदर्शों का तड़का लगाया करती थी। जिस दिन नीले रंग का सूट डालती उस दिन कामायनी की पंक्तियाँ पूरे क्लास में सुर सहित गूंजा करती थी ,"नील परिधान बीच खिल रहा ..।"तुम्हारी शरारतें कब धीरे धीरे मन में जगह बना गयी पता ही न चला।
मुझे याद है जिस दिन मेरी शादी तय हुई ,अंतस् में कोई दर्पण चटखा था। फिर भी उस भावना को नहीं समझा।हाँ उस दिन से तुम्हारे होंठो से गीत रूठ गये। आँखों में शरारत की जगह अजीब सी बैचेनी ,दर्द झलकने लगा था। समझने लगी थी उस भाव को। पर देर हो चुकी थी। कालेज में होने वाले आयोजनों में हिस्सा लेती थी और अच्छे परफार्मेंस पर तुम कोई न कोई बहाना बना कर गिफ्ट दिया करते थे।वो ताजे गुलाब ,वो फाउंटेन पेन ।सभी कुछ विदा होते वक्त अपने साथ ले आई थी।विदाई के वक्त नजरें तलाश रही थी तुमको।पर क्यूँ?समझ न आया।एक छोटा सा ताजमहल पीस मेरी शादी में गिफ्ट के रुप में कौन दे सकता था भला। जिसमें अपना नाम जिस तरह लिखा था तुमने ,वो बहुत कुछ कह गये।
और अब वही वैलेनटाइन वीक ।कुछ पुरानी यादों की सिलाई उधड़ी ।आज कुछ खोजते डायरी से सूखे गुलाब ,वो कार्ड ,डायरी में रखा वो पेन सभी तो सामने आये यादों की महक बिखेरते।
ताजमहल अब पहले से और ज्यादा गहरे भाव से मेरे अंतस् में तुम्हारी यादों के साथ पैठ गया है।
आज मैं करती हूँ तुमसे निवेदन ।क्या बनोगे मेरे वैलेनटाइन ?जानती हूँ घर परिवार तुम्हारा भी है ,मेरा भी है। उसे तोड़ना नहीं है। पर अपने अहसासों को हम एक पवित्र रिश्ते का नाम देकर आगे कदम बढ़ा सकते हैं।
न कसमें हैं न रस्में है ,न रिश्ते हैं न वादे हैं ।
इक सूरत भोली भाली है दो नैना सीधे सादे हैं।
तो फिर तुम्हारा निवेदन नये रूप में मंजूर है ।तो बनोगे न मेरे वो वैलेनटाइन, जो सदैव एक दूसरे की खुशियों का ख्याल रखेंगे, परेशानियों में मददगार बनेगे।ओ झल्ले ...
. तुम्हारी
.. वही भोलू
0 टिप्पणियाँ