रचनाकार संख्या -88
नमामि गंगे नमामि गंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे
पूर्ण वेग से धरा पे उतरी
महादेव की जटा में गंगे
भागीरथ की सुनी पुकार
भावपूर्ण से भरी गुहार
कुल को मेरे तार दो माते
बस मेरी है यही पुकार
संगम पे मेरा है संगम
मेला लगता मेरे अगम
तीनो धारा मिलकर बहती
संगम पे होता है संगम
मेरे घाट को निर्मल करदो
कूड़ा करकट से न भरदो
अब दूर करो मेरा प्रदूषण
धरा को हरियाली से भरदो
कामिनी गोलवलकर
ग्वालियर मध्य प्रदेश
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