मॉं - के के पराशर

मां! मां आती तो हो 
परन्तु केवल इन ख्यालों में
आओ ना, आओ ना
जिंदगी के इन उजालों में
देखो ना मै कितना समझदार हो गया
तेरी समझायतों से कितना होशियार हो गया!!


इंतज़ार! इंतज़ार
तुमने तो किया नहीं
वादा अपना पूरा किया नहीं
मै तो आया भी, चरण तेरे छुवा भी
पर तुमने तो सिर पे हाथ घुमाया भी नहीं
मां मां तुम आओ ना
सिर पे हाथ घुमाओ ना!!


जो सपने तूने देखे और दिखाए भी
उसे पाने को नयी नई राह बताए भी
देखो ना शायद यही थे तेरे सपने
उठ के मुझे बताओ ना
मां! मां आओ ना, मां आओ ना


देख ना ये बच्चा आदमी बन गया
सब कुछ सह के ये साहसी बन गया
जो तू हसती थी ना मेरी नादानियों पर
अब अपने ही उन पर झुंझलाने लगे हैं
तेरी याद दिलाने लगे है
मां तुम आओ ना तुम आओ ना
एक बार फिर से गले लगाओ ना
मुझे फिर से बच्चा बनाओ ना!!


दुनियां ने मुझे "अहिरा" कहा
पर तुमने कभी नाम बिगाड़ा नहीं
देखो ना अब "अहीरा" कोई बोलता भी नहीं
मां मां तुम आओ ना आओ ना
एक बार फिर मझिला मुझे पुकारो ना!!


तुझसे किया वादा तो कभी निभाया नहीं,
तुमने  कभी शिकवा किया भी नहीं
पर आज सच्ची मुच्छी कहता हूं
फिर कभी तुझे सताऊंगा नहीं
अब तो मान लो मेरा कहना
मां मां तुम आओ ना!!


पापा भी तुमसे मिले ही होंगे
मेरी शिकायतें किए भी होंगे
ईया भी बतियाई होंगी
सबका हाल बताई होंगी
पापा फिर गारियाए होंगे
असलियत उन्हें बताओ ना
मां मां तुम आओ ना
सबके हाल बताओ ना!!


नानी को तो भूल ही गया
मैं अपनी मां में गुम गया
अपनी मां का हाल बताओ ना
मां! मां तुम आओ ना!!


ऋतु भी अब बड़ा हो गया
दो कन्याओं का पापा हो गया
लक्ष्मी उसकी रानी हो गई
पूरे घर की महारानी हो गई
बिट्टू शिवम् अभियंता बन गए
लव कुश पढ़ने में बढ़ गए
छोटी भी है बहुत सयानी
समी से है कुछ परेशानी
देख ना सब उल्टा पुल्टा बोल गया
ये बताना भूल गया
"दो बेटों का भी बाप बन गया"
सबका भरा परिवार हो गया
पर तुम बिन सुना परिवार हो गया
क्या क्या बताऊं ये सब देखने को
एक बस काश इस रात की अन्त हो जाती!
मेरे इन आंशुओं की बरसात हो जाती!!
उठते जब सवेरे वो,उसी बारिश से सामना होता!
भीग जाते वो इन आंशुवो की बारिश में!
ये प्रकृति इतना तो कद्रदान हो पाती!!
कहीं अपना भी इस धरा पर ठीकाना होता!
ना होता कोई शिकायतों का गुच्छा!!
अपनी दुनिया भी होती कायनातों से अच्छा!!
मगर‌ ये तो केवल ख्वाब है!
उजाले में तो जिन्दगी एक बहाव है!!
काश फिर ये रात ही ना बीते!
और अपना सुनहला ख्वाब ही ना टूटे!!


कृष्‍ण कुमार पराशर नेपाल



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ