मुझे नवल उत्थान  दो - संतोष

 


माँ शारदे की स्तुति 


मााँ हंसेश्वरी वरदान दो
मुझे नवल उत्थान  दो


मातु कृपा यदि हो जाये
वस्तु अलभ्य मिल जाये 
      
दुनिया जाती बढ़ती
मुझे राह ना मिलती 


माँ ऐसा दो करदान
बन जाये जो वरदान


कलम चले चलती रहे
चलती रहे चलती रहे


रुकने का ना ले नाम
वागेश्वरी तुम्हें प्रणाम


वीणापाणि नमन
हंसवाहिनी नमन


श्रीमती संतोष शुक्‍ला


नई दिल्‍ली


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