नया -नया संसार लगे ये ,
जब से प्यार हुआ ।।
पाँव नहीं पड़ते ज़मीन पर ,
उड़ती आज फिरूँ ।
ऊँची-नीची राह प्रेम की ,
सँभलूँ नहीं गिरूँ ।।
सपने हैं मेरी आँखों में ,
हाँ ! इकरार हुआ ।।
वर्षा के मौसम में गिरतीं ,
ये कोमल बूँदें ।
तन-मन भीगा हुआ नेह में ,
पलकों को मूँदें ।।
भ्रमर बंद हो गया कमल में ,
जब अभिसार हुआ ।।
घन गहराते आसमान में ,
दमक रही बिजली ।
मन में जागी प्रणय कामना ,
मिलने को मचली ।।
नयी-नयी सी तन में सिहरन ,
सुख संचार हुआ ।।
लिए हाथ में हाथ घूमते ,
हम दोनों खोए ।
बीज प्रेम के दिल में अपने ,
हमने फिर बोए ।।
लगें हवाएँ मस्तानी सी ,
जब मनुहार हुआ ।।
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रीता ठाकुर
अमेरिका
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