नया संसार -रीता ठाकुर

नया -नया संसार लगे ये ,
जब से प्यार हुआ ।।


पाँव नहीं पड़ते ज़मीन पर ,
उड़ती आज फिरूँ ।
ऊँची-नीची राह प्रेम की , 
सँभलूँ नहीं गिरूँ ।।


सपने हैं मेरी आँखों में ,
हाँ ! इकरार हुआ ।।


वर्षा के मौसम में गिरतीं , 
ये कोमल बूँदें ।
तन-मन भीगा हुआ नेह में ,
पलकों को मूँदें ।।


भ्रमर बंद हो गया कमल में ,
जब अभिसार हुआ ।।


घन गहराते आसमान में ,
दमक रही बिजली ।
मन में जागी प्रणय कामना ,
मिलने को मचली ।।


नयी-नयी सी तन में सिहरन ,
सुख संचार हुआ ।।


लिए हाथ में हाथ घूमते ,
हम दोनों खोए ।
बीज प्रेम के दिल में अपने ,
हमने फिर बोए ।।


लगें हवाएँ मस्तानी सी ,
जब मनुहार हुआ ।।
~~~~~~~
रीता ठाकुर
अमेरिका
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