परिचर्चा पर शिल्पा अरोड़ा

परिचर्चा आज के समय में हमारे टूटते परिवार कारण?...और निवारण।


परिवार का अर्थ है कुछ लोगों का आपस में जोकि अलग अलग विचारों के हो एक छत के नीचे आपस में मिलकर रहना परंतु दुख की यह बात है की आज आज परिवार तेजी से विघटित होते चले जा रहे हैं क्योंकिआज हर इंसान अपनी आजादी और खुद से से ज्यादा प्यार करता हैऔर उसे दूसरों के हिसाब से चलना बिल्कुल भी गवारा नहीं है।
वह किसी की भी दखलअंदाजी पसंद नहीं करता और खासतौर पर महिलाएं ही मुख्यतः विघटन का मुख्य कारण है उन्हें अपने अनुसार ही रहना पसंद है भले ही बड़े बुजुर्ग कितने ही अच्छे क्यों ना हो मगर अधिकतर महिलाएं उन्हें आज भी बोझ ही समझती है।
अगर आज की पीढ़ी यह समझ ले कि हम अपने परिवार के बिना अधूरे हैं सुख दुख बिना परिवार के कुछ नहीं आज दुनिया में टेक्नोलॉजी की वजह से हर इंसान कहीं ना कहीं अकेला है वह किसी को भी अपना नहीं समझता वह अपना अधिकतर समय मोबाइल में लगा देता है जैसा कि पहले हम हर दिन त्यौहार पर मिलकर दिन बिताते थे खाने की टेबल पर हंसी मजाक हुआ करता था आज भी हमें अपना कीमती समय अपने परिवार को देना चाहिए आज बच्चे दूसरों से अपना सुख दुख सांझा करते हैं मगर अपने माता पिता को जिन्होंने उन्हें जन्म दिया बताना जरूरी नहीं समझते इसलिए परिवार में दूरियां बढ़ती चली जा रही है आज जरूरत है तो सिर्फ अपना समय एक दूसरे को देने की जिससे कि हम आपसी में करीब आ सके थोड़ा समझने की जरूरत है समय तो पहले भी वही था आज भी वही है बस अपने आप को सभी को थोड़ा समझाना है परिवार ही हमारी रीड की हड्डी है इसके बिना कुछ नहीं।


 


शिल्पा अरोरा विदिशा।


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