प्रेम फरवरी
पूनम का चाँद
खिड़की से झाँक रहा था
कुछ मुझे कह रहा था
कदम पेड़ के पत्तों के ओट से
मुझे कुछ समझा रहा था
आया हूँ लेकर बरात
साथ तारों की
भेज रहा हूँ पैगाम
चाँदनी रात में
आ जाओ मेरी दुल्हन बनकर
तेरा मैं दीदार करूँगा
सोलह श्रृंगार करूँगा
तुम हम मिल
सपने सजायेंगे
प्यार का महल बनायेंगे
सोख हवाएं आयेगी
छूकर तेरे अंजूमन को
शरमाएगी
ऐसी सुहानी रात होगी
फूलों की बरसात होगी
हम तुम एक हो जायेंगे
स्मिता धीरसरिया
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