प्रेम -रूपेन्द्र

प्रेम फरवरी


प्रेम करो काम से अपने, 
          प्रेम करो इन्सान से।
धरती के कण कण से और,
          प्रेम करो भगवान से।
प्रेम करो प्रकृति से और,
          नदी खेत खलिहान से।
जग का पेट भरने वाले,
         उस कर्मवीर किसान से।
वतन पर जो मर गए उन,
         वीरों के बलिदान से।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
         देश की सब संतान से।
मिट्टी की सौंधी खुशबू से,
         गाँंव के टूटे मकान से।
मजदूरों का खून पसीना,
         इज्ज़त और ईमान से।
प्रेम करो लगन व मेहनत,
         सबके स्वाभिमान से।
प्रेम करो पशु पक्षियों,
         नारी के सम्मान से।
जिसने सबको दी प्रतिष्ठा,
         देश के संविधान से।
घुटने घुटने खड़े वर्फ में,
         वहाँ तैनात जवान से।
प्रेम करो जल की बूंदों से,
         गीता और कुरान से।
मंदिरों की घंटी के सुर,
         मस्जिद की अजान से।
प्रेम करो धरती माता से,
         प्रेम करो आसमान से।
लाचारों और दुखियारों के,
         छोटे  से  अरमान से।
गाँव की गलियों चौबारों,
         सारे   हिंदुस्तान   से।
प्रेम  करो   बड़े   बुजुर्गों,
         भारत देश महान से।


*रूपेन्द्र गौर*
मो. 8871675954
पता- इटारसी, जिला- होशंगाबाद
       (म.प्र.) पिन 461111


 



 


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