प्रेम फरवरी
मैं नेह सुधा बरसाऊँगी
घन केश घटा लहराऊँगी
प्रियतम को आने दो..... !!
प्रियतम को आने दो..... !!
पाँवों में प्रिय रुनझुन पायल
कजरारे नैनों में काजल
चूड़ी कंगना खनकाऊँगी
प्रियतम को आने दो..... !!
प्रियतम को आने दो..... !!
पोर- पोर को मै छू लूँगी
मस्त पवन के सँग झूमूँगी
पुष्प कली सी मुस्काऊँगी
प्रियतम को आने दो..... !!
प्रियतम को आने दो..... !!
मोर पपीहा दादुर बोले
वन उपवन जब मधु रस घोले
मैं हाथ हिना रच आऊँगी
प्रियतम को आने दो..... !!
प्रियतम को आने दो..... !!
सात सुरों के रस घोलूँगी
सब कुछ नैनों से बोलूँगी
प्रिय अंग अंग लग जाऊँगी
प्रियतम को आने दो..... !!
प्रियतम को आने दो..... !!
पुष्प लता शर्मा
दिल्ली
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