प्यार और तन्हाई-नूतन सिन्हा

प्रेम फरवरी


जब तक जीवित रहेंगी हमारी तनहाइयाँ। 
तब तक बजती रहेंगी प्यार की शहनाइयाँ ।।
हैं लोग सभी  इस रंगीन दुनिया के महफिल में ।
कोई अपने तो कोई सपने बन बैठे हैं दिल के कोने में ।।
जब तक यादों के चिराग जलते रहेंगे तेरे दिल में ।
दूर रहकर भी हर वक्त रहूँगी तेरे हृदय के अन्तर्मन में।।
देर न कर उस मुकाम तक पहुँचने की जो है खड़ा तेरे इन्तजार में।
वसुधा अपनी गोद में लिये कुछ आश की उम्मीदें जगायी है अपने मन में।।
इस देश की छ: ऋतुओं  ने ,
हमें बहुत कुछ जीने को सिखाती रही और ज्ञान देता मस्तिष्क में ।
जिस मौसम का होता आगमन ,
उस मौसम ने किया प्रभावित हमारे बुलंद हौसले को।।
जब उसका वक्त आता गमन का पल जूट जाता अपनी तैयारी में।
लगता टूकड़े टूकड़े हो रहे दिल इस मिट्टी(शरीर) के कण में।।
प्यार और तनहाइयों की मिलन होती ही कुछ ऐसी।
जिसे न कोई छुपा सकते न कोई इसे भूला सकते । ।


दुनिया की यही रीत है आने वाले ही जाएँगे।
तेरे इस प्यार और तनहाईयोँ की रंगीन रंगों में,
भले ही न रंग पायेंगे।।
लेकिन हम तो रंगहीन रह कर भी,


तेरे इस इश्क व प्यार को, जन्नत तक ले जाएँगे ।
तेरे दिल की हर एक सांसों में न सही ,क्षण भर के लिये ही हम तेरी आँखों के नूर में समा जाएँगे।।
तुम याद करो या न करो मुझे ! तुम मुझे याद जरुर आओगे ।
चाहे क्यों न अलसाई या अनसाती हुई नजरों से देखो मुझे ।
कोई याद करे न करे तुम जरुर याद करोगे ये मालूम है मुझे ।
प्यार और तनहाइयाँ ही हमारी यादों को एक मुकाम तक पहुँचाती है ।
प्रेमी और प्रेमिका को एक दूसरे के करीब होने का एक एहसास दिलाती है।।


नूतन सिन्हा 
पटना बिहार ।


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