राजाकांता की ग़ज़ल

होली विशेष - 8


रंगों को अब घोली होगी 
आया फागुन होली होगी ।


नफरत को मिट जाना है अब
पेशानी पर रोली होगी।


अपनों से मिलने की चाहत
मिलकर मीठी बोली होगी ।


खेलेंगें जब रंगों से हम
दोस्तों की हमजोली होगी ।


घर- घर मिलते पूड़ी पूआ 
गाना बाजा टोली होगी ।


देवर भाभी के रिस्ता में 
अब मस्ती ठीठोली होगी।


खुशबू बिखरेगी अपनों की
रंगीली जब झोली होगी।


राजकांता राज 
पटना (बिहार )


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