पाती प्रेम की सख्ंया - 02
मेरे प्रियवर, मधुर स्मृति
आज बहुत दिन बाद यादों के गठरी को खोल मैं फिर उसी को देख रही हूँ जो जो तीस साल पहले था ।इस गठरी में मैं आपके द्वारा लिखी हुई खत मैंने अभी तक दिलों दिमाग में संजोए रखी हूँ। उस लाईन को मैं अपने लेखनी से आज प्रेम दिवस के दिन लिख रही हूँ "जिंदगी की सफ़र तय करते हुए इंसान को कई ऐसे जाने अनजाने रहनुमाओं के मुलाकात का तबादला करना पड़ता है,जिसके मिलते वक्त तो किसी खास तरजीह की तजबीज नहीं की जाती,लेकिन बिछुड़ते वक्त ऐसा प्रतीत होता है मानो लाश छोड़ कर जान रुखसत ले रही हो।ये लाईन मेरे जीवन के धरोहर है ।आपकी यादें कभी हँसाती है कभी रोने पर विवश करती है ।आप चाहे दूर हो या पास आपकी यादें मेरे रूह में समाई हुयी है वो मेरी तन्हाईयों के साथ सदैव तत्पर रहती है ।आपने जीवन सतरंगी बना दिया और और प्यार के इत्र से मेरा जीवन महका दिया।मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ जो आप मुझे मिले ।भगवान करे आप सातो जनम मेरे साथ रहे, स्वस्थ मस्त रहे हमेशा यहीं कामना करती हूँ ।
आपकी
राजकांता राज
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