रश्‍मी की ग़ज़ल

प्यार आँखों  समाया जुबां पर नहीं
इश्क दिल को रे  भाया   दुआ  को नही।


मीरा कहती रही जब कथा प्रेम की
 लोगो को समझ कुछ आया नही।


लैला ने करीं फरियादें मगर पर
मजनू को किसी ने बचाया नही।


सोहनी मिट गई जा  चनाब की दर
तरस महिवाल पे  रे आया नही।


बड़ी अद्भुत कथा है सनम प्यार की
समझ कोई अब तक तो पाया नही।


रश्मि लाता मिश्रा

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