रुपम कुमार की ग़ज़ल


दिल से दिल को जुड़ना होगा
ऐसा कुछ अब करना होगा।


 संदेशा ये होली लाई 
नफरत क्योंकर करना होगा।


सबका हो रंगीला जीवन
हँस -हँस कर अब कहना होगा।


कष्टों में जब तड़पे कोई
सबके दुख को हरना होगा।


रुपम यह कहती हेै अब तो
सबसे हिलमिल रहना होगा।
*रुपम कुमार
 दिल्ली


 


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