शीश माँ को दे आया-रेखा

वीरों को नमन।


चंद सुमन हम अर्पित करते,आज शहादत के चरणों में,
शीश नवाकर वंदन करते,आज शहादत के चरणों में,


चूड़ी,बिंदी,बिछिया,पायल उतर रहे सुहागिन के,
देश की खातिर बिखर गए,ख्वाब बेवा के  तिनके-तिनके,


भूल न जाना आज कहीं तुम,उनकी इस सहादत को,
मां की खातिर की बेटे ने, उसकी इस इबादत को,


उस पर राजनीति के चकले,अपनी बिसात बिछाते है,
तब मां की आंखों के आंसू,पिता का सीना दहलाते है,


कोई सहादत में अपना,शीश भी माँ को दे आया,
किसी ने जख्मी अंगों को,मां की मिट्टी से सहलाया,


ऐसे वीर जवानों का वंदन,हम चंदन से करते है,
एक लाल हर घर का हम ,देश को समर्पण करते है,


रेखा ओम दुबे, विदिशा


 



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