पाती प्रेम की संख्या -5
प्रिय,
कैसे हो?अभी -अभी तो हमारा विवाह हुआ है !.दो जिस्म एक जान हुएऔर तुम्हें देश की रक्षा के लिए सरहद जाना पड़ा। तुमसे मिलना फिर बिछड़ना उफ्फ!कैसा है यह अहसास!! जानती हूँ, तुम्हें भी मेरे बगैर कैसा महसूस हो रहा होगा?मैं तुम्हारे पास स्थूल रूप में नहीं हूँ किन्तु सूक्ष्म रूप में तुम्हारे मन ,विचार ,हृदय में समाई हुई हूँ। दूर रह कर भी दूर नहीं पास हो कर भी पास नहीं हाय! कैसी है ये मजबूरी!लेकिन क्या ये महज मजबूरी है या हमारे प्रेम की परीक्षा की घड़ी। न हो कर होना दिव्यता का अद्धभुत क्षण ही तो है!है न!क्या दूरी हमारे प्रेम को कम कर सकती है क्या?नहीं प्रिय!तुम कहीं भी रहो मैं पल-पल तुम्हारे साथ हूँ।प्रेम की यही ऊर्जा तुम्हें तुम्हारे जीवन में आये विषम- परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए ऊर्जावान बनाए रखेगा ।ज्यादा क्या लिखूँ....अनकही बातों को तुम खूब समझते हो...है न?
ढेर सारा प्यार
तुम्हारी श्रेयसी
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