होली विशेष
गाली सुन-सुनकर भी तुमको, जब लगे कि मीठी बोली है।
तुम लेना समझ मेरे भाई कि आई फिर से होली है।।
भाभी को रंग लगाने को,
देवर जब-जब प्रतिबद्ध दिखे।
प्रेमी जोड़े व्याकुल होकर,
मिलने को जब कटिबद्ध दिखे।।
जब दादी को बोले दादा, तू लगती कितनी भोली है।
तुम लेना समझ मेरे भाई, कि आई फिर से होली है।।
जब पेड़ो की शाखाओं पर,
किसलय का नया अंकुरण हो।
नव दम्पति के मन में जब-जब,
भावों का नया प्रस्फुरण हो।।
जब बूढ़े और जवान तुम्हें, लगते जैसे हमजोली हैं।
तुम लेना समझ मेरे भाई, कि आई फिर से होली है।।
देख फसल जब-जब अपनी,
मुखड़ा किसान का खिल जाए।
अपने परदेशी साजन बिन,
जब सजनी व्याकुल मिल जाए।।
हँसी ठिठोली करती जब-जब,दिखती कोई टोली है।
तुम लेना समझ मेरे भाई, कि आई फिर से होली है।।
रविशंकर विद्यार्थी
सिरसा मेजा प्रयागराज
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